Saturday, 8 August 2015

☆ ईद उल अजहा (बकराईद) मुबारक ।।। ….

☆  ईद उल अजहा (बकराईद) मुबारक ।।। ….
ईद उल अजहा (बकराईद) हर मुसलमान के लिए एक अहम मौका होता है ।।।
कुछ लोगो की गलतफहमी है कि इस्लाम की स्थापना मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने की,,, ये बात वो बिना लेखक की फालतु किताब वाले बोलेंगे जिन्हे इस्लाम के नाम से हमेशा डराया जाता रहा हो, जबकि वो लोग असली इतिहास से काफी दूर हैं ।।। – @[156344474474186:]
हमारे आका मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) से पहले बहुत से नबी आये जिनमे एक नबी थे जिनका नाम इब्राहीम था,,, उनको लगातार सपना आता था कि कोई महबूब चीज की कुर्बानी दी जाए ।।। हजरत इब्राहीम अलैहि. लगातार अपनी सोच के मुताबिक कुर्बानी करते रहे,,, मगर ये ख्वाब उन्हे लगातार आता रहा,,, आखिर मे उन्होने सोचा कि इस दुनिया मे उन्हे सबसे प्यारी चीज है उनकी औलाद हजरत इस्माईल अलैहि. ,,,
अब ये अपनी औलाद इस्माईल को लेकर अल्लाह के हुक्म पर कुर्बान करने चल दिए,,, इब्राहीम अलैहि. ने इस्माईल को उल्टा लिटा दिया और खुद की आँख पर पट्टी बांध ली,,, जब इब्राहीम अलैहि. बेटे की गर्दन पर छुरी चलाने लगे तो अल्लाह के हुक्म से एक दुम्बा बीच मे आ गया जो जिबह हो गया ।।। और हजरत इब्राहीम की कुर्बानी को इतना कुबूल किया गया कि कयामत तक आने वालो पर हलाल जानवर की कुर्बानी का हुक्म दिया गया ।।।
अल्लाह पाक कभी भी किसी का नुकसान नही चाहता मगर आजमाता जरुर है,,, इसी कुर्बानी के अम्ल को हम आज भी करते हैं,,, मगर इस कुर्बानी का हक होता है कि इसके गोश्त के तीन हिस्से किये जाए,,, पहला खुद का,,, दूसरा रिश्तेदारो का,,, और तीसरा गरीबो का ।।।
कुर्बानी का जानवर ज़िबह करते वक्त नीचे लिखी दुआ पढनी सुन्नत है ।।। अगर कुर्बानी अपने और अपने घरवालों की तरफ़ से है तो कहना चाहिये :- “बिस्मिल्लाहे वल्लाहुअकबर अल्लाहुम्मा मिन्का व लका अल्लाहुम्मा तकब्बल मिन्नी व अहलेबयती बिस्मिल्लाहे वल्लाहुअकबर
और अगर दूसरे के जानवर को आप जिबह कर रहे हैं तो कहना चाहिये : “बिस्मिल्लाहे वल्लाहुअकबर अल्लाहुम्मा मिन्का व लका अल्लाहुम्मा तकब्बल मिन…………”
के बाद उसका नाम लें (जिसके नाम की कुर्बानी हो) और “बिस्मिल्लाहे वल्लाहुअकबर” कह कर ज़िबह करना चाहिये ।।।
(दीनी किताब कसासुल अंबिया, बुखारी शरीफ, फजाइले आमाल के मुताबिक)
Ummat-e-Nabi.com के पूरी टीम की तरफ से तमाम उम्मते मुस्लिमा को ईद उल अजहा की बेशुमार नेअमते मुबारक हो …
– दुआ की दरख्वास्त (मोहम्मद सलीम)

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