Monday 31 August 2015

☆ कुरान में Orbits, Nebula aur Big Bang theory का ज़िक्र: …

♥ “सूर्य चन्द्रमा को अपनी ओर खींच नहीं सकता और ना दिन, रात से आगे निकल सकता है. ये सब एक कक्षा (orbit) में अपनी गति के साथ चल रहे है.”
– अल-कुरान 36:40
• दिन के रात से आगे निकलने के शब्द देखिये, पृथ्वी से ऊंचाई पर जाकर देखा जाये तो इस दृश्य का इन्ही शब्दों में उल्लेख किया जा सकता है की दोनों एक दुसरे का पीछा कर रहे है. इसके अतरिक्त आयत में “यसबाहून” शब्द है जिसका अर्थ है की वो अपनी गति के साथ चल रहे हैं अर्थात आयत में बता दिया गया है की सूर्ये चन्द्रमा और पृथ्वी अपनी-अपनी धुरी (Axis) पर घूम रहे है और इस गति के साथ-साथ अपनी-अपनी कक्षों (Orbits) में भी घूम रहे है.
• बीसवी शताब्दी में आकर विज्ञान (Science) ने बताया की सूर्य अपनी धुरी (Axis) पर एक चक्कर 25 दिन में पूरा करता है और अपनी कक्षा (Orbits) में 125 मील प्रति सेकंड (7,20,000 प्रति किलोमीटर प्रति घंटे) की गति से चलते हुए एक चक्कर 25 करोड़ वर्ष में पूरा करता है. आधुनिक विज्ञानिक शोध ने अब यह बताया हैं की सूर्य व चन्द्रमा की जीवन अवधि एक दिन समाप्त हो जाएगी और यह की सूर्य एक विशेष दिशा में भी बहा चला जा रहा है.
• आज विज्ञान ने उस स्थान को निश्चित भी कर दिया है जहा सूर्य जाकर समाप्त होगा. उसे Solar Apex का नाम दिया गया हैं और सूर्य उसकी ओर 12 मील प्रति सेकंड की गति से बढ़ रहा है. – @[156344474474186:]
अब ज़रा बीसवी सदी के इन अनुसंधानों को कुरान की दो आयतों में देखे
♥ क्या तुमने इस पर दृष्टि नहीं डाली की अल्लाह रात को दिन में और दिन को रात में प्रवेश करता है. सूर्य और चन्द्रमा को काम में लगा रखा है. हर एक निश्चित काल तक ही चलेगा (और अल्लाह जब ऐसा सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञानी है तो) अल्लाह तुम्हारे सारे कर्मो की जानकारी भी रखता है.
– अल-कुरान 31:29
इस आयत में एक निश्चित समय तक सूर्य और चन्द्रमा की जीवन का उल्लेख किया गया है और अब सूर्य के एक विशिष्ट स्थान की ओर खिसकने का वर्णन –
♥ “और एक निशानी यह भी है की सूर्य अपने लक्ष्य की और चला जा रहा है. यह एक अथाह ज्ञान वाले (अल्लाह) का निश्चित किया हुआ हिसाब है”
– अल-कुरान 36:38
♥ यह आकाशगंगा, सर मंडल, तथा पृथ्वी व आकाश कैसे उत्पन्न हुए इस सम्बन्ध में कुरान ने संकेत दिया था –
“फिर उसने (अल्लाह ने) ध्यान किया और वो पहले धुंआ (Gasseous Mass) था”
– अल-कुरान 41:41
♥ क्या इनकार करने वाले नहीं देखते की आकाश और पृथ्वी प्रारंभ में एक थे फिर हमने उन्हें अलग-अलग किया और हर जीव की उत्पत्ति का आधार पानी को बनाया? क्या अब भी वो ईमान नहीं लायेंगे?”
– अल-कुरान 21:30
उपरोक्त दोनों आयते Nebula और विशाल विस्फोट सिध्धांत (big-bang theory) की ओर संकेत करती है. यह भी विशिष्ट रूप से नोट कर लें की इन सब आयतों में ईश्वर ने इनकार करने वालो को ईमान लाने का निर्देश ये कहते हुए दिया हैं की हमारे इन चमत्कारों को देख कर भी तुम क्यों ईमान नहीं लाते. 1400 साल पहले कोई व्यक्ति अपने सामान्य जीवन के अनुभवों पर आधारित साधारण सी कविता के रूप में लोगो के समक्ष प्रस्तुत करता तो उसमे चुनोती न होती की यह साधारण बाते नहीं, वरना ईश्वर का वो महान चमत्कार हैं जिन्हें देख कर तुम्हे ईमान लाना ही चाहिए.
*अल्लाह ने कुरान में फ़रमाया है –
♥ आसमानों और ज़मीन में जो कुछ है, उसे हमने तुम्हारे अधीन कर दिया है और इस तथ्य में उन लोगो के लिए निशानियाँ हैं जो चिंतन करते हैं.
– अल-कुरान 45:13

☆ Taweez Ki Haqeeqat ….

☆  Taweez Ki Haqeeqat ….
!!! Bismillah-Hirrahman-Nirrahim !!!
Taweez Ka Mas’ala Thik Waisa Hai Jaisa Ke, Kisi Doctor Ne Kisi Ko Uske Bimaari Ki Ilaz Ke Liye Prescription Par Kuchh Dawayi Ka Naam Aur Usko Lene Ka Tareeka Likh Diya, Aur Woh Uss Tareeke Ko Chhor Kar Uss Prescription Ko Hi Gaale Me Latka Liya, Aur Ye Samajh Baitha Ke Aise Hi Main Sifa Paa Sakta Hoo. – @[156344474474186:]
Aaiye Ab Dekhte Hai Sariyat Kya Kehti Hai…
♥ Al-Quraan: (Aye Rasool!) Aap Keh Do Ke Mere Liye Allah Hi Kafi Hai, Aur Bharosa Rakhne Wale Usi(Allah) Par Bharosa Rakhte Hai.
– (Surah 38 Az-Zumar, Ayat 38)
♥ Al-Quraan: (Aye Logon!) Agar Allah Tumhare Upar Koyi Takleef Dena Chahe, Tou Usko Koyi Hata Nahi Sakta, Aur Agar Wo Tumpar Khair Karna Chahe, Tou Koi Bhi Usko Radd Nahi Kar Sakta.
– (Suah 10 Yunus, Ayat 107)
* * * * *
» Mehfum-e-Hadees: Hazrate Abdullah-Bin-Aakim (Razi’Allahu Anhu) Farmate Hain Ke Rasool’Allah (Sallallahu Alaihay Wasallam) Ne Farmayam –
“Man Alaqtan Tammimatan Faqad Ashrak” Jisne “Taweez” Latkai Usne Shirk Kiya.
– [Musnad Ahmad (4/156) No. 17458 and Mustadrak al-Haakim (4/243) No. 7513]
» Mehfum-e-Hadees: Hazrate Imraan-Bin-Hasen (Razi’Allahu Anhu) Se Rawayat Hai, Ke Nabi (Sallallahu Alaihay Wasallam)Ne Ek Aadmi Ke Hanth Me Pital Ka Bana Hua “Kadaa” Dekha Tou Daryaft Kiya: Ye Kya Hai?
Isne Jawab Diya Ke ‘Ye Kamzori Se Bachne Ke Liye Hai’
Tou Aap (Sallallahu Alaihay Wasallam) Ne Farmaya: ‘Isey Utaar Kar Phek Do! Isliye Ke Ye Kamzori Hi Me Ezafa Karega Aur Is Se Pahne Hue Teri “Wafat (Death)” Ho Gai Tou Tu Kabhi Kamyab Nahi Ho Sakta”
– (Musnad-e-Ahmad)
* * * * *
» Hazarte Huzaifa (Razi’Allahu Anhu) Se Riwayat Hai, Ek Shakhs Ke Hath Par Ek Dhaga Dekha Jo Wo Bukhaar Ki Wazah Se Pehna Tha. Tou Usey Kaat Kar Fek Diya Aur Quraan Ki Yeh Ayat Tilawat Farmayi,
♥ Al-Quraan: “Zyadatar Log Allah Ke Upar Emaan Laney Ke Bawazood Mushrik Hai”
– (Surah 12 Yusuf, Ayat 106)
– (Ibne Abu Hatim, Kitabut Tawheed, Safa 38)
» Mehfum-e-Hadees : Abdullah Ibne Mas’ud (Razi’Allahu Anhu) Ne Farmaya Ke, Rasool’Allah (Sallallahu Alaihay Wasallam)Ne Farmaya –
“Taweez, Jhar-Foonk Sab Hi Shirk Hai”.
Ye Sunke Jainab (Razi’Allahu Anha) (Abdullah Ki Biwi) Ne Kaha, ‘Aap Ye Kya Keh Rahe Ho?’
*Allah Ki Qasam! Mere Aankh Ki Beemari Ke Waqt, Main Ek Yahudi Ke Paas Jati Thi Aur Wo Mujhe Taweez Deti Thi. Aur Uss Se Meri Beemari Dur Ho Jati Thi.
Tab Abdullah (Razi’Allahu Anhu) Ne Bataya – ‘Wo Tou Shaitani Aamal Tha. Dar’asal Shaitan Aapne Hath Se Tumhare Aankh Ko Daba Ke Rakhta Tha. Jab Yahudi Tumhe Taweez Pahenne Ko Detey, Tab Shaitan Wo Kaam Chhor Deta.
*Beshaq Tum Wohi Bayan Karo Jo Rasool (Sallallahu Alaihay Wasallam) Ne Farmaya –
“Allahumma Rabbin Nas Azabal Ba’asa Asfi Anta Shafi La Shafi Illa Anta Shafi La-Yugadiru Sakma”
#Tarjuma: “Ya Allah Sarey Aalam Ka Rab, Taqleef Dur Karnewala, Shifa Ata Farma, Sirf Tu Hi Shifa Deney Wala Hai, Tere Bagair Koyi Shifa Dene Wala Nahi Hai, Aisi Shifa Ata Kar Takey Beemari Ek Dum Hi Na Rahe.
– (Abu Dawood, Vol 3, Hadees-485)
• Naseehat: Lihaza Imaanwalo Ko Chahiye Ki Unpar Aanewali Musibato Ko Masliyate Khudawandi Jaane Aur Sabr Wa Shukr Ada Karte Rahe Aur Apne Rab Se Sirate Mustakim Par Chalne Ki Dua Karte Rahe.
Allah Hume Haq Kehne, Sun’ne Aur Samajh Ke Saath Amal Ki Taufik Ata Farmaye..
!!! Wa Akhiru Dawana Anilhamdulillahe Rabbil A’lameen !!!

Aur Sabr Se Kaam Lo ,..

Aur Sabr Se Kaam Lo ,..
Ke Allah Sabr Karne Walo Ke Sath Hai,..
– [Surah (8) Ayat 46] – @[156344474474186:]
*Aaj Ikhtelaaf Me Kis Hadd Tak Hum Log Mulawwis Hai Beharhaal Bataney Ki Jarurt Bhi Nahi ,..
*Ek Musalaman Dusre Muslaman Ke Piche Namaz Bhi Ada Kar Ley –
Tou Nikah Tutney Ke Fatwe Tak Nikal Aatey Hai ..
(Wakiya Moujud Hai Kuch Saal Pahle Ka)
*Subhan’Allah!! Allah Reham Karey,…
*Aur Jab Media Ke Samne Mazak Banta Hai, Aur Koi Gairmuslim Humare Iss Bewakufana Amal Ko Allah Aur Uske Rasool(Sallallahu Alaihi Wasallam) Ki Taalimat Par Nisbat Karke Tanz Karta Hai , Tab Hume Badi Sharm Aaney Lagti Hai ,.. Masha’Allah !!
‪# Sawaal‬ Tou Ye Hai Ke –
Hum Aisi Harkatey Karte Kyu Hai Pehle??
*Behahrhaal Baat Ko Samjhne Ki Koshish Kare Mere Azeezo !!
Aaj Ummat Zaleel Aur Khwar Mehaz Isiliye Ho Rahi Hai ,
Kyunki Humne Allah Aur Uske Rasool Ki Taalimat Ko Chor Diya !
*Jiska Natija Ye Hua Ke – 
Chando Ke Dhando Waley Mafadparast Logo Ne Apne Mafad Ke Liye Ummat Me Bohot Inteshar Failaye ,..
Aur Iska Fayda Dushmanane-Deen Ne Bakhubi Utha Liya Aur Utha Bhi Rahe Hai ,..
*Lihaja Hume Jarurat Hai Ke –
Baat Ko Samjhey ,.. Halaat Ko Samjhey ,.. Mouke Ki Nazakat Ko Samjhey ,…
Log Chah Rahe Hai Ke Hum Alag Ho ,.. Aur Hum Wakay Me Harkatey Kar Ke Bata Rahe Hai Ke Hum Alag Hai…
Allah Reham Karey ….
* * * * *
# Allah Ta’ala Hume Haq Sun’ne Samjhne
aur Uspey Amal Ki Taufiq Dey! !!
# Hum Sabko EK Aur Nek Banaye !!!
# Jab Tak Hume Zinda Rakhey Islam Aur Imaan Par Zinda Rakhye…
# Khatma Humara Imaan Par Ho …
!!! Wa Akhiru Dawana Anilhamdulillahe Rabbil A’lameen !!!

☆ इस्लाम में नारी का महत्व ….

☆  इस्लाम में नारी का महत्व ….
यदि आप धर्मों का अध्ययन करें तो पाएंगे कि हर युग में महिलाओं के साथ सौतेला व्यवहार किया गया,
* हर धर्म में महिलाओं का महत्व पुरुषों की तुलना में कम रहा। बल्कि उनको समाज में तुच्छ समझा गया, उन्हें प्रत्येक बुराइयों की जड़ बताया गया, उन्हें वासना की मशीन बना कर रखा गया। एक तम्बा युग महिलाओं पर ऐसा ही बिता कि वह सारे अधिकार से वंचित रही।
लेकिन यह इस्लाम की भूमिका है कि उसने हव्वा की बेटी को सम्मान के योग्य समझा और उसको मर्द के समान अधिकार दिए गए।
♥ क़ुरआन की सूरः बक़रः (2: 228) में कहा गया:
“महिलाओं के लिए भी सामान्य नियम के अनुसार वैसे ही अधिकार हैं जैसे मर्दों के अधिकार उन पर हैं।”
∗ इस्लाम में महिलाओं का स्थान –
इस्लाम में महिलाओं का बड़ा ऊंचा स्थान है। इस्लाम ने महिलाओं को अपने जीवन के हर भाग में महत्व प्रदान किया है। माँ के रूप में उसे सम्मान प्रदान किया है, पत्नी के रूप में उसे सम्मान प्रदान किया है, बेटी के रूप में उसे सम्मान प्रदान किया है, बहन के रूप में उसे सम्मान प्रदान किया है, विधवा के रूप में उसे सम्मान प्रदान किया है, खाला के रूप में उसे सम्मान प्रदान किया है, तात्पर्य यह कि विभिन्न परिस्थितियों में उसे सम्मान प्रदान किया है जिन्हें बयान करने का यहाँ अवसर नहीं हम तो बस उपर्युक्त कुछ स्थितियों में इस्लाम में महिलाओं के सम्मान पर संक्षिप्त में प्रकाश डालेंगे।
∗ माँ के रूप में सम्मानः 
माँ होने पर उनके प्रति क़ुरआन ने यह चेतावनी दी कि “और हमने मनुष्य को उसके अपने माँ-बाप के मामले में ताकीद की है – उसकी माँ ने निढाल होकर उसे पेट में रखा और दो वर्ष उसके दूध छूटने में लगे – कि ”मेरे प्रति कृतज्ञ हो और अपने माँ-बाप के प्रति भी। अंततः मेरी ही ओर आना है॥14॥ ”
कुरआन ने यह भी कहा कि – “तुम्हारे रब ने फ़ैसला कर दिया है कि उसके सिवा किसी की बन्दगी न करो और माँ-बाप के साथ अच्छा व्यवहार करो। यदि उनमें से कोई एक या दोनों ही तुम्हारे सामने बुढ़ापे को पहुँच जाएँ तो उन्हें ‘उँह’ तक न कहो और न उन्हें झिझको, बल्कि उनसे शिष्‍टापूर्वक बात करो॥23॥ और उनके आगे दयालुता से नम्रता की भुजाएँ बिछाए रखो और कहो, “मेरे रब! जिस प्रकार उन्होंने बालकाल में मुझे पाला है, तू भी उनपर दया कर।”॥24॥ (सूरः बनीइस्राईल 23-25) – @[156344474474186:]
» हदीस: माँ के साथ अच्छा व्यवहार करने का अन्तिम ईश्दुत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने भी आदेश दिया,
एक व्यक्ति उनके पास आया और पूछा कि मेरे अच्छे व्यवहार का सब से ज्यादा अधिकारी कौन है?
आप ने फरमायाः तुम्हारी माता,
उसने पूछाः फिर कौन ?
कहाः तुम्हारी माता.
पूछाः फिर कौन ?
कहाः तुम्हारी माता,
पूछाः फिर कौन ? कहाः तुम्हारे पिता ।
मानो माता को पिता की तुलना में तीनगुना अधिकार प्राप्त है।
» हदीस: अन्तिम संदेष्टा मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः “अल्लाह की आज्ञाकारी माता-पिता की आज्ञाकारी में है और अल्लाह की अवज्ञा माता पिता की अवज्ञा में है” – (तिर्मज़ी)
∗ पत्नी के रूप में सम्मानः –
पवित्र क़ुरआन में अल्लाह तआला ने फरमाया और उनके साथ भले तरीक़े से रहो-सहो। (निसा4 आयत 19) और मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः “एक पति अपनी पत्नी को बुरा न समझे यदि उसे उसकी एक आदत अप्रिय होगी तो दूसरी प्रिय होगी।” – (मुस्लिम)
∗ बेटी के रूप में सम्मानः –
मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः “जिसने दो बेटियों का पालन-पोषन किया यहां तक कि वह बालिग़ हो गई और उनका अच्छी जगह निकाह करवा दिया वह इन्सान महाप्रलय के दिन हमारे साथ होगा” – (मुस्लिम)
आपने यह भी फरमायाः जिसने बेटियों के प्रति किसी प्रकार का कष्ट उठाया और वह उनके साथ अच्छा व्यवहार करता रहा तो यह उसके लिए नरक से पर्दा बन जाएंगी” – (मुस्लिम)
∗ बहन के रूप में सम्मानः –
मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः जिस किसी के पास तीन बेटियाँ हों अथवा तीन बहनें हों उनके साथ अच्छा व्यवहार किया तो वह स्वर्ग में प्रवेश करेगा” – (अहमद)
∗ विधवा के रूप में सम्मानः –
इस्लाम ने विधवा की भावनाओं का बड़ा ख्याल किया बल्कि उनकी देख भाल और उन पर खर्च करने का बड़ा पुण्य बताया है।
मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः ”विधवाओं और निर्धनों की देख-रेख करने वाला ऐसा है मानो वह हमेशा दिन में रोज़ा रख रहा और रात में इबादत कर रहा है।” – (बुखारी)
∗ खाला के रूप में सम्मानः –
इस्लाम ने खाला के रूप में भी महिलाओं को सम्मनित करते हुए उसे माता का पद दिया।
हज़रत बरा बिन आज़िब कहते हैं कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः “खाला माता के समान है।” – (बुखारी)